वो आँखों से कुछ भी तो कहता नहीं हैसमंदर , समंदर है , बहता नहीं हैये दरिया चले आते हैं बस्तियों मेंकिनारों पे अब कोई रहता नहीं हैहम ही थे जो पढ़ते रहे तेरी आँखेये सन्नाटे हर कोई सहता नहीं है
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साथ मेरे बैठा था पर
किसी और के करीब था
वो अपना सा लगने वाला ,
किसी और का नसीब था
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जिसके हिस्से में रात आई हैयक़ीनन उसके हिस्से में चाँद भी आया होगा |
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गहराई से पढ़ने की आदत है मुझेफिर वो चाहे शब्द हो या शख्स |
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कितने शौक़ से छोड़ दिया था तुमने बात करनाजैसे सदियों से तुम पर कोई बोझ थे हम |
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मोहब्बत में ख्याल रखा जाता हैनज़र नहीं |
सुना है जो देर से मिलते हैंवो बड़ी दूर तक साथ चलते हैं |
बहुत परेशानी थी उन्हेंहमारी आदतों सेसुना है अब खुद की आदतों से परेशां रहते है |
रेल की तरह गुज़र तो कोई भी सकता हैइंतज़ार में पटरी की तरह पड़े रहना ही असल इश्क़ है |
जा के कह दे कोई शोलो से , चिंगारी से
फूल खिले हैं इस बार बड़ी तयारी से
अपनी हर सांस को नीलम कर दिया हमने
वो अलग हुए है बड़ी दुशवारी से |
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